जनता के लिए एक यादगार स्वर्ण दिवस बन गया है व इसी दिन बर्लिन की दीवार गिराई गई हे द्य आज भारत के इतिहास में सबसे पुराना आपसी सांप्रदायिक नासमझी के झगड़ों का सर्वोच्च न्यायालय के पांच वरिष्ठ न्यायाधीशों के द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया इन पांचों जजों भारत के सभी संप्रदाय के न्यायाधीश सम्मिलित रहे एवं सभी के द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया व निर्णय में न्यायाधीशों ने न केवल न्यायिक प्रक्रिया को ध्यान में रखा अपितु भारत के समस्त हिंदू एवं मुसलमान भाइयों के हितों को भी पूर्ण महत्व देते हुए निम्न तीन प्रमुख खंडों में निर्णय लिया
(1) (अ) संपूर्ण विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला की है एवं रामलला का मन्दिर इसी जमीन पर बनेगा द्य जमीन की वर्तमान रिसीवर केंद्र सरकार ही रहेगी (ब) केंद्र सरकार को 3 माह के अंदर राम मंदिर ट्रस्ट की रूपरेखा बनाकर तैयार करना है एवं निर्मित ट्रस्ट को राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन सौपना है।
(2) निर्मोही अखाड़े पर विवादित जमीन के नियंत्रण का दावा खारिज करते हुए उसके ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
(3) मुस्लिम समाज को प्रमुखतासुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन मुहैया करवाएगी।
बंधुओं, यह निर्णय जो कि देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देश की समस्त जनता को अनुसरण करना चाहिए क्योंकि निर्णय के पूर्व सभी पक्षों ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को मान्यता देने का संकल्प किया है। इतना अधिक न्यायिक, सामाजिक एवं व्यवहारिक सर्वसम्मति का फैसला लेने में सभी न्यायाधीशों को जो कठिन मानसिक परिश्रम करना पड़ा है। उसके लिए समस्त देने का संकल्प किया है। इतना अधिक न्यायिक, सामाजिक एवं व्यवहारिक सर्वसम्मति का फैसला लेने में सभी न्यायाधीशों को जो कठिन मानसिक परिश्रम करना पड़ा है। उसके लिए समस्त देशवासी उनके कृतार्थ है। पांचों न्यायाधीशों को हार्दिक बधाइयां देते हैं। इससे सुंदर और व्यवस्थित अन्य कोई निर्णय नहीं हो सकता।
बंधुओं आवे हम सब मिलकर हमारे पितृपुरुष श्री रामचंद्रजी परमात्मा के उच्च आदर्शों का अनुसरण करते हुए भारत की समस्त जनता के लिए रामराज्य की स्थापना करने में सहयोग प्रदान करें। रामायण में भी मार्गदर्शन दिया है कि
बरु भल बास नरक कर ताता। दुष्ट संग जनि देइ बिधाता, अर्थात दुष्ट की संगति नर्क से भी अधिक कष्टप्रद हैं।
रामायण में वर्णित है कि
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा, सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती फेडरेशन